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ज़िन्दगी यह ईश का उपहार है / रंजना वर्मा

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जिंदगी यह प्रेम का उपहार है।
जो मिला उससे किया स्वीकार है॥

साँवरे केवल तुम्हारा आसरा
नाव जीवन की पड़ी मझधार है॥

है अँधेरी रात रपटीली डगर
पाँव के नीचे बिछा अंगार है॥

मोह की गठरी उठा ली शीश पर
और कहते हैं कि कितना भार है॥

नाम तेरा कल्प तरु-सा सामने
पर गंवाया प्राण को धिक्कार है॥

हो सके तो प्यार करना सीख लें
बस यही तो सृष्टि का आधार है॥

बाँसुरी घनश्याम की जब भी बजी
सार जीवन का बताया प्यार है॥