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मेरे बेटे जैक / रुडयार्ड किपलिंग / तरुण त्रिपाठी

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{...'किपलिंग' के इकलौते बेटे 'जॉन किपलिंग', जो ब्रिटिश आर्मी में लेफ्टिनेंट थे, प्रथम विश्वयुद्ध में हुए लूस के युद्ध के दौरान 18 वर्ष की उम्र में मर गए थे(या लापता हो गए).. इस कविता में 'किपलिंग' ने अपनी ही उस बेचैनी को व्यक्त किया है.. मानो ख़ुद ही हैं जो युद्ध से लौटने वाले लोगों से अपने बेटे के बारे में पूछ रहे हैं..}

"क्या तुम्हारे पास मेरे बेटे जैक की ख़बर है?"
इस लहर तो नहीं
"तुम्हें क्या लगता है वह कब लौटेगा?"
इस बहती हवा और इस लहर के साथ तो नहीं

"क्या और कोई उसके बारे में कुछ भी जानता है?"
इस लहर तो नहीं
कि जो भी डूब जाए तैरेगा नहीं
कि इस बहती हवा और इस लहर के साथ तो नहीं

"ओह, प्यारे, मुझे क्या कोई सुकून मिल सकता है?"
इस लहर तो कोई नहीं
और किसी लहर कोई नहीं
इसके अतिरिक्त कि उसने अपनी तरह के लोगों को लज्जित नहीं किया
उस बहती हवा और उस लहर के साथ भी नहीं

तो अब, अपना सिर और ऊँचा कर लो
इस लहर,
और हर लहर;
क्योंकि वह ऐसा बेटा था जिसे तुमने ताकीद किया,
और भेंट दे दिया उस बहती हवा और उस लहर को!