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धुक्कु-पक्कु / बोली बानी / जगदीश पीयूष
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धुक्कु-पक्कु
जिउ डेराय
छोटि केरि नौकरी
छोड़ि-छोड़ि गाँव-देसु
सहरै तौ आय गयेन
ख्यात-पात
सपनु भये
अइसे मा का करी
छोटि की कोठरिया है
लरिकवा मेहेरिया है
बसि जस-तस
दिन काटी
चैन अब कहाँ धरी
लउटि कस हुँआ जाई
हसिहैं दउआ दाई
हियनै
मरि-खपि जइबा
करति करति चाकरी