भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पानी गिरने की आवाज़ / चन्दन सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:10, 31 मार्च 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्दन सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
पानी गिरने की आवाज़ से
भरता हूँ मैं
अपने कानों के चुल्लू
चाहे बारिश हो
या झरना
या नल
पानी गिरने की आवाज़
कुछ–न–कुछ भरने की आवाज़ है
कुछ–न–कुछ भरता है
चाहे गड्ढा
या कुआँ
या सीपी या कण्ठ
या बाल्टी
पानी गिरने की आवाज़
कुछ–न–कुछ भरने की आवाज़ है
चाहे यह आवाज़
समुद्र के ऊपर
बरसती बारिश की ही क्यों न हो ।