भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रोम / एज़रा पाउंड / एम० एस० पटेल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:12, 17 अप्रैल 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एज़रा पाउंड |अनुवादक=एम० एस० पटेल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

’ट्राय का रोम पुनर्जीवित होता है’ -- प्रोपरशस

ओ ! तुम अजनबी रोम में रोम का पता लगता हो
और रोम में कुछ नहीं पाते हो
तुम रोमवासी को नहीं बुला सकते हो,
खण्डित मेहराबें और राजभवन सामान्य हो गए हैं,
रोम का नाम केवल इन दीवारों में रहता है ।

देखो, अभिमान और पतन कैसे हो सकता है
जिसने समूची दुनिया को अपने कानून के नीचे ठहराया है,
अब जीत ली सर्वोच्च विजय, क्योंकि
समय का वह मारा है और समय सबको मिटाता है ।

रोम जो रोम का एकमात्र अन्तिम स्मारक है,
रोम जिसने अकेले रोम का क़स्बा जीता है,
इकलौती टाइबर, क्षणिक और समुद्र की ओर मुड़ी,
रोम के अवशेष हैं, ओ ! दुनिया, तू अविश्वसनीय स्वाँगिया है !
जो तेरे समय में अटल रहता है चकनाचूर हो जाता है,
और जो जल्दी चला जाता है
समय की गति से पीछे होता जाता है ।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : एम० एस० पटेल