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मछली / हरिवंश राय बच्चन / विलियम बटलर येट्स

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भले छिपो तुम,
चन्द्र अस्त जब हो जाता है,
ज्वार और भाटे की पीत बरन लहरों में,
आनेवाले दिल के लोगों से
          यह बात छिपी न रहेगी,
तुम पर मैंने अपना जाल कभी डाला था ।

औ’ कितनी ही बार
रेशमी रजत डोरियों को
         फलाँगकर निकल गईं तुम ।
वे सोचेंगे, तुम कठोर थीं, तुम निर्दय थीं,
औ’ कितने ही कटु शब्दों में
       वे तुम पर तोहमत थोपेंगे ।

मूल अँग्रेज़ी से हरिवंश राय बच्चन द्वारा अनूदित

लीजिए अब पढ़िए यही कविता मूल अँग्रेज़ी में
         William Butler Yeats
                    The Fish

Although you hide in the ebb and flow
Of the pale tide when the moon has set,
The people of coming days will know
About the casting out of my net,
And how you have leaped times out of mind
Over the little silver cords,
And think that you were hard and unkind,
And blame you with many bitter words.