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साहित्याचार्यगण / हरिवंश राय बच्चन / विलियम बटलर येट्स

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गँजे, भूले हुए गुनाहों को, यौवन के,
बूढ़े, ज्ञानी, मानी, औन्धी खोपड़ियों के
बैठे सम्पादन करते उन कविताओं का,
अर्थ लगाते स्वर-शब्दों की उन लड़ियों के,
जो कि जवानों ने बिस्तर पर तड़प-तड़पकर
जोड़ी अपने टूटे दिल के बहलाने को
या कि किसी अनजान सुन्दरी के कानों को
ख़ुश करने को, सुख देने को, सहलाने को ।

सबके सब हैं बैठे साथ बदलते आसन,
खाँस-खाँस कर कफ़ से भरते हैं दावातें,
सब काग़ज़ पर क़लम, दरी पर घुटने घिसते,
और सोचते हैं जो सबने सोची बातें ।
सबके सबकी सिर्फ़ जान-पहचान उन्हीं से
जिन्हें पड़ोसी उनके जाना-माना करते,
पता नहीं वे सारे के सारे क्या कहते
अगर कैटुलस<ref>ईसा-पूर्व सदी का लातीनी कवि, जिसने अपने जीवन के तैंतीस वर्षों में ही संसार का बहुत-कुछ कटु-मधु भोगा और उसे वाणी दी। रोम में उससे अधिक सुकुमार और भावनाभिरंजित कवि नहीं हुआ।</ref> कहीं निकट उनके आ पड़ते

मूल अँग्रेज़ी से हरिवंश राय बच्चन द्वारा अनूदित

लीजिए अब पढ़िए यही कविता मूल अँग्रेज़ी में
              William Butler Yeats
                     The Scholars

BALD heads forgetful of their sins,
Old, learned, respectable bald heads
Edit and annotate the lines
That young men, tossing on their beds,
Rhymed out in love's despair
To flatter beauty's ignorant ear.

All shuffle there; all cough in ink;
All wear the carpet with their shoes;
All think what other people think;
All know the man their neighbour knows.
Lord, what would they say
Did their Catullus walk that way?

शब्दार्थ
<references/>