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अपनी कविता के बारे में / नाज़िम हिक़मत
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मेरे पास नहीं है घोड़ा
काठी के नीचे लटकती
सुनहरी रकाबों वाला
मैं डींग नहीं मार सकता
कि पैदा हुआ हूँ मैं
किसी राजवंश में
न सम्पत्ति है और न जागीर
मेरे पास है सिर्फ़ एक प्याला शहद
सूरज की तरह सुनहरा शहद
बस, यही है मेरे पास
और कुछ नहीं
हर कीड़े से बचाता हूँ मैं
अपनी सम्पत्ति, अपनी जागीर
शहद से लबालब भरा प्याला
इन्तज़ार कर, मेरे भाई, इन्तज़ार
हो गा यदि तेरे प्याले में शहद जोशीला
तो उड़ आएँगी मधुमक्खियाँ
बगदाद से
1932
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय