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नहीं विश्वास जी गँवाने के / मीर तक़ी 'मीर'
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Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:20, 6 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीर तक़ी 'मीर' }}नहीं विश्वास जी गँवाने के <br> हाय रे ज़ौक...)
नहीं विश्वास जी गँवाने के
हाय रे ज़ौक़ दिल लगाने के
मेरे तग़यीर-ए-हाल पर मत जा
इत्तेफ़ाक़ात हैं ज़माने के
दम-ए-आखिर ही क्या न आना था
और भी वक़्त थे बहाने के
इस कदूरत को हम समझते हैं
ढब हैं ये ख़ाक में मिलाने के
दिल-ओ-दीं, होश-ओ-सब्र, सब ही गए
आगे-आगे तुम्हारे आने के