भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सपना में देखलां / ब्रह्मदेव कुमार
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:15, 1 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रह्मदेव कुमार |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRac...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
गौना-गौना सुनथैं रहलां, गौना नाहीं भइलै
हाय गे माय, सपना में देखलां।
पिया नै छै पढ़लोॅ हे भगवान,
हाय गे माय, सपना में देखलां।।
बेचबै हम शंखा चूड़ी, कीनबै कितबिया
हाय गे माई, काॅपी-कलमियाँ।
पिया जी केॅ भेजबै सब सामान,
हाय गे माई, काॅपी-कलमियाँ।।
बाबू जी से चुपके-चोरी भेजबै रूपैया
हाय गे माई, मास्टर लगैबै।
पियाजी केॅ बनैबै हम विद्वान
हाय गे माई, मास्टर लगैबै।।
साक्षरता-केन्द्र खोली-खोली, पियाजी के संग-संग
हाय गे माई, सबकेॅ पढ़ैभै।
सफल होतै साक्षरता-अभियान
हाय गे माई, सबकेॅ पढ़ैभै।।
अनपढ़-निरक्षर नाहीं रहतै कोय आवेॅ
हाय गे माई, करै छीं परणमां।
होतै हमरोॅ भारत देश महान्
हाय गे माई, करै छीं परणमां।।