भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
देशोॅ के होतै उद्धार / ब्रह्मदेव कुमार
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:24, 2 मई 2019 का अवतरण
आबेॅ हम्मेॅ नै रहबै गँवार हो,
पढ़ै लेॅ जैबै इस्कूल।
आधोॅ रोटी खैबै, तैय्यो पढ़ै लेॅ जैबै
अंगूठा निशानोॅ केॅ जड़ोॅ सेॅ मिटैबै।
बनैबै हम्मेॅ शिक्षित परिवार हो
पढ़ै लेॅ जैबै इस्कूल।
साक्षर बनबै आरो साक्षर बनैबै
शिक्षा के भावना, जन-जन में जगैबै।
होतै समाज के सुधार हो
पढ़ै लेॅ जैबै इस्कूल।
गाँव-गाँव जाय केॅ, नारा लगैबै
घर-घर जाय केॅ, समझैबै-बुझैबै।
शिक्षा सबसें बड़ोॅ हथियार हो
पढ़ै लेॅ जैबै इस्कूल।
साक्षरता अभियान केॅ सफल बनैबै
देशोॅ के गौरव-गरिमा बढ़ैबै।
देशोॅ के होतै उद्धार हो
पढ़ै लेॅ जैबै इस्कूल।