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भैया हो मानी लेॅ / ब्रह्मदेव कुमार

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अंगिका केरोॅ सभा मेॅ ऐलो, अतिथिगण विद्वान।
सादर सबकेॅ करै छीं हम्में, कर जोड़ी परणाम
भैया हो जानी लेॅ-
एक टा अरजिया हमरोॅ हो भैया मानी लेॅ॥
अंगभाषा अंगिका केरोॅ, पुरनकट्ठी परमाण।
वेद पुरान रामायण, महाभारत, सब्भै कर बखान
भैया हो जानी लेॅ-
एक टा अरजिया हमरोॅ हो भैया मानी लेॅ॥

साहित्य केरोॅ सब्भे विधा मेॅ, प्रकाशित पुस्तक ढेर।
तैय्यो नैं गिनती राज्य भाषा मेॅ, ई छै कैह्नों अन्हेर
एकरो सानी लेॅ-
एक टा अरजिया हमरोॅ हो भैया मानी लेॅ॥
झारखण्ड मेॅ अंगिका भाषी, जनता लाख-करोड़।
तैय्यो कैह्नें छै ई उपेक्षित, पेटोॅ मेॅ उठै मरोड़
दिलोॅ मेॅ लानी लेॅ-
एक टा अरजिया हमरोॅ हो भैया मानी लेॅ॥

दोसरोॅ-तेसरोॅ, छोटोॅ-खोटोॅ, भाषा नंग-धड़ंग।
हमरोॅ घरोॅ मेॅ हमरे चिढ़ाबै लोर बहाबै अंग
बैठी केॅ कानी लेॅ-
ृ एक टा अरजिया हमरोॅ हो भैया मानी लेॅ॥
अंगदेश केरोॅ अंगविभूति सिनी, आभियो करोॅ उपाय।
स्कूल, काॅलेज, प्रतियोगिता मेॅ, अंगिका लगाबोॅ भाय
मनोॅ मेॅ ठानी लेॅ-
एक टा अरजिया हमरोॅ हो भैया मानी लेॅ॥