Last modified on 5 मई 2019, at 12:18

माँ / कविता कानन / रंजना वर्मा

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:18, 5 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=कवि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

माँ तो
केवल माँ होती है।
कर्म उसके
अकथनीय
उसके गुण
अवर्णनीय ..
एक एहसास है माँ
महसूस करो
आत्मा की गहराइयों में
एक पूजा है माँ
अदेखे ईश्वर का
अनुपम रूप।
मैंने नहीं देखा
ईश्वर को
पर माँ को देखा है
महसूस की है
उसके आँचल की
सुरक्षा
पायी है सदैव
उसकी रक्षा।
वो मुकरती नहीं
वादे से
डगमगाती नही
अपने इरादे से
क्योंकि
वह माँ है
केवल माँ।