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ख़ूब लुभाती मुंबई / देवमणि पांडेय
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शहर हमारा जो भी देखे उस पर छाए जादू
- हरा समंदर कर देता है हर दिल को बेक़ाबू
- ताजमहल में ताज़ा काफ़ी जो भी पीने आए
चर्चगेट की चकाचौंध में वो आशिक़ बन जाए
- चौपाटी की चाट चटपटी मन में प्यार जगाती है
भेलपुरी खाते ही दिल की हर खिडकी खुल जाती है
- कमला नेहरु पार्क पहुंचकर खो जाता जो फूलों में
प्यार के नग़्मे वो गाता है एस्सेल-वर्ल्ड के झूलों में
- जुहू बीच पर सुबह-शाम जो पानी-पूरी खाए
वही इश्क़ की बाज़ी जीते दुल्हन घर ले आए
- नई नवेली दुल्हन जैसी हर पल लगती नई
सबको ऊँचे ख़्वाब दिखाकर खूब लुभाती मुंबई