भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फुलवारी / फुलवारी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:51, 9 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=फुल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
रंग बिरंगे फूल खिले।
लगते हैं ये बड़े भले॥
कोयल देखो बोल रही।
तितली भी है डोल रही॥
भँवरों की मीठी गुनगुन।
क्या कहती है आकर सुन॥
हँसती है क्यारी क्यारी।
कितनी प्यारी फुलवारी॥