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दृष्टिकोण / महेन्द्र भटनागर

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अतीत का मोह मत करो,
अतीत —
मृत है !
उसे भस्म होने दो,
उसका बोझ मत ढोओ
शव-शिविका मत बनो !
शवता के उपासक
वर्तमान में ही
एक दिन
स्वयं निश्चेष्ट हो रहेंगे
अनुपयोगी
अवांछित
अरुचिकर !

जो व्यतीत है —
अस्तित्वहीन है !
वह वर्तमान का नियंत्रक क्यों हो ?
वह वर्तमान पर आवेष्टित क्यों हो ?
वर्तमान को
अतीत से मुक्त करो,
उसे सम्पूर्ण भावना से जियो, भोगो !
वास्तविकता के
इस बोध से —
कि हर अनागत
वर्तमान में ढलेगा !
अनागत —
असीम है !