भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
योगदान / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:31, 8 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह=संवर्त / महेन्द्र भटनागर }} नयी...)
नयी फ़सल के लिए
प्राण श्रम-वारि-कण कुछ
समर्पित,
धरा की रगों को
विमल रक्त-कण कुछ
समर्पित !
सजल हो
सबल हो !
अभीप्सित जगत हेतु
बोया हुआ हर नवल बीज
रे पल्लवित हो,
सुफल हो !
मधुर रस सदृश
हर हृदय में
भरे भावना...कामना
इसलिए —
सृष्टि की साधना में
निवेदित
नयी चेतना के प्रवर स्वर !
निःसृत
लोक-हित-निष्ठ
आराधना के सुकर स्वर
समर्पित !