भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

साँझ.. काली.. रात.. / वाहरू सोनवाने / नितिन पाटील

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:05, 12 जून 2019 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साँझ..
काली रात..

गोद में बच्चा
रीऽऽऽ ... रीऽऽऽ
करता

एक परछाई
चक्की घुमाती

आटा
आँसुओं का
पीसकर पूरा करती...

मूल मराठी से अनुवाद : नितिन पाटील