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मइया गे मइया / सिलसिला / रणजीत दुधु
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मइया गे मइया, काहे बनलें तों कसइया।
कर देलें हमरा तों गरभे में धोलइया॥
माय के हे पदवी ई जग में महान,
माय-बाप तो दे देहे बचबन ले जान
के बनतइ बहिनिया के कहतइ भइया,
मइया गे मइया, काहे बनलें तों कसइया॥
काहे बदल देलें, मइया अप्पन तो दिरिष्टि,
बिन बेटी कइसे चलतय दुनिया के सिरिष्टि,
तहुँ तो हें बेटी नानी हउ तोहर मइया
मइया गे मइया, काहे बनलें तों कसइया॥
बेटिए इंदिरा गांधी बेटिए सोनिया, सानिया,
सुनीता विलियम के पूज रहल हे दुनिया,
दुर्गा सरस्वती लक्ष्मी के हो सब्भे पुजवइया,
मइया गे मइया, काहे बनलें तों कसइया॥
बेटा से नय पुरतउ असरा हउ हम्मर ई सराप,
जे होतउ तोहर बेटा उ नय बनतउ बाप,
य बनतय पुतहू नय कहतय सास ससुइया
मइया गे मइया, काहे बनलें तों कसइया॥