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गांधी के नाव में / ध्रुव कुमार वर्मा

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गांधी के नाव ला
घोर घोर के पीयव।
ए बढ़िया टानिकए
पी पी के जीयव।
चउक में ओकरा एक
मूर्ती, बढ़ावव।
चौरा में बइठके
बोतल चढ़ावव।
सत्त् अऊ अहिंसा के
सींग तुहर जामें।
धुनियावव धुर्रा हा
दिल्ली ले लामें।
हाड़ा गरीबी के
ले ले के चाबव।
बौना भगवान बन
दुनियां ल नापव।
झोला मां भाषण ल
धरे धरे घूमव।
मौका मां गदहा ल
ददा कइके चूमव।
संसद के रूख कहूं
चढ़े ले पावव।
माई पीला फर खाके
डारा ल हलावव।
तूमन हा उतरव त
लइका ल चढ़ावव।
अपने सही देख ओला
बने पढ़ावव।
उहू हा गांधी ल
चटनी बनावय।
आमलेट मं डारके
सबे कहूं खावय
नेता, बेपारी अऊ
अफसर के जोड़ी।
तूहर बर जनता ह
बनगे हे घोड़ी।
गांधी के तूमन
तीन ढुल बेंदरा।
आंख, मुंह, कान में
बांधे रहव चेंदरा।
सूनव गोहार झन
कान तूहर फूटय।
सत बोले ले धरहू ते
मुंह तुहर टूटय।
देखव बईमानी ते
आंखी ला मूंदव।
नई आवय पीका तुम
जे मेर ला खूदव।
गूदा ला खा खा के
फोकला ल देवव।
चार दिन के जिनगी ए
लाहो ल लेवव।
जनता दुबरावत हे
तूमन मोटावव।
जन गण ला दूह के
खोवा अउटावव।
साल मां एक घांव
राजघाट जावव।
गांधी समाधी में
माला चढ़ावव।
मरे हा सुनही का
कसम कहू खाहू।
सेवा के नाव लेके
मेवा उड़ाहू।
तभे तो गांधी के
आत्मा जुड़ाही।
कमिया कमाही अऊ
बइठागुर खाही।
लबरा अऊ गदहा मन
खुरसी ल पावय।
प्रजातंत्र देश के
नाव ल बुतावय।