भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खास आदमी / अरविन्द पासवान

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:44, 22 जून 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द पासवान |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उनके काटने से
कुत्ते हो गए हैं पागल

कुत्ते हैं हैरत में
कि अब वे भौंकते हैं
खास आदमी की आवाज़ में

चकित है बाज
उनके चकमे से

डर गए हैं साँप
कि उनके डँसने से
मर गए हैं साँप

बेचैन हैं बिच्छू
उनके डंक से

कि उनके शिकार से
शेर भी खा गए हैं शिकस्त
चीते हैं चित
बाघ भी दुबके पड़ें हैं

सबके-सब
दहशत में जी रहे हैं

किसी ने पूछा --

कौन है वह खास आदमी ?

जिसके आतंक से
पशु-पक्षी सहित
अन्य प्राणी हैं परेशान
खो रहे अपना अस्तित्व और मान

उत्तर मिला--

राजतंत्र की छाती पर बैठा हुआ
वह मुकुट पहनकर ऐंठा हुआ