बिल्ली दूध रखावै / राम सेंगर
बिल्ली दूध रखावै रे भैया
बिल्ली दूध रखावै !
पूत जने हिजड़ों ने
गण्डा-थिगड़ा से ।
भैंस सब भरोसे की
ब्या गईं पड़ा से ।
कौआ मोती खावै रे भैया
कौआ मोती खावै !
आँख नहीं, पर,
काजर
पारे अन्धरानी ।
पानी को मथ रही
गजोधर की नानी ।
घी ऊपर पलरावै रे भैया
घी ऊपर पलरावै !
भड़भड़िया और
पेटपापी सब जानें ।
थूक में सनें सत्तू
हम कैसे मानें ।
काहे मूड़ खपावै रे भैया
काहे मूड़ खपावै ।
रोटी, हक़, चिकनाई,
चासनी, मलाई ।
कुत्तों ने नाँद की
लदोई तक खाई ।
सब कुछ इनको भावै रे भैया
सब कुछ इनको भावै !
घात और तिगड़म के
नाम की बड़ाई ।
छाती पै बाल नहीं
रीछ से लड़ाई ।
किसको को समझावै रे भैया
किसको को समझावै !
भूमिका विदूषक की
ढब हीरो जैसे ।
अभिनय के होते हैं
ढँग कैसे-कैसे ।
जो जैसा कर पावै रे भैया
जो जैसा कर पावै !
बिल्ली दूध रखावै रे भैया
बिल्ली दूध रखावै !