भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उसकी ऊँची उड़ान देखो तो / अलका मिश्रा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:43, 25 जून 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अलका मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसकी ऊँची उड़ान देखो तो
ख़ुद पे उसका गुमान देखो तो

आसमां नापने को निकली है
एक नन्ही सी जान देखो तो

बाँटता है जो ग़म ज़माने के
दिल पे उसके निशान देखो तो

रूह जब जिस्म छोड़ देती है
रुख़ पे तब इत्मिनान देखो तो

उस ने ख़ुद को समझ लिया शायद
हो गया बेज़ुबान देखो तो