भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कैसा लगता है / एलिस वॉकर / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:11, 25 जून 2019 का अवतरण
ऐसा कि मानो
मैं एक तरबूजा निगल चुकी हूँ
और
मेरे पाचनतन्त्र को
दरकिनार रखते हुए
मेरे दिल में
वह बस गया ।
वहाँ वह पड़ा रहता है
हरा
और साबुत
अन्दर
लज़ीज़ और लाल
अपना ही एक दिल
काटने के लिए
मुझे चुनौती देता हुआ ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य
लीजिए, अब यह कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Alice Walker
What It Feels Like
As if I've swallowed
A watermelon
And
Sidestepping
My digestive tract
It has lodged
In my heart.
There it lies
Green
& whole
with a luscious
red
heart of its own
daring me
to cut.