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ऊहे मुखिया होय / सिलसिला / रणजीत दुधु

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जनसेवा हो जेकर धरम,
परोपकार हो जनम करम,
निःस्वार्थ करे जनसेवा,
अच्छा काटे-अच्छा बोय
ऊहे मुखिया होय, ऊहे मुखिया होय

सभे के हो जेकरा से आस
जातपात नय तनिको पास
चरित्रवान हो सबसे पहिले
हरपल परेम के बीया बोय
ऊहे मुखिया होय, ऊहे मुखिया होय

सभे काम में हो ऊ अगुआ
चाहे दाहा हो या फगुआ
सभे घर में चलवे चुल्हा
खुशी में हँसे गम में रोय
ऊहे मुखिया होय, ऊहे मुखिया होय

जेकरा हो देखल जिला परखंड
जलवे करम के ज्योति अखंड
सतपथ से कहियो नय डिगे
चाहे सागर चरण के धोय
ऊहे मुखिया होय, ऊहे मुखिया होय