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सबसे बड़का बकलोल हकूँ / सिलसिला / रणजीत दुधु

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की कहियो अपन हालत सबसे बड़का बकलोल हकूँ,
बाहर में खूभे बजऽ ही घ्ज्ञर में फुट्टल ढोल हकूँ।

धानी हमर जी जी एम पी मारऽ हकी हमारा ताना
एक्के लूर हको तोरा खाली लिखऽ ह कविता गाना
उनकर कहना मान-मान हम तो डावांडोल हकूँ
की कहियो अपन हालत सबसे बड़का बकलोल हकूँ।

इसकुल में समय पर, रोजे आना आव जाना हे
को´ पढ़वे या न´ पढ़वे, हमरा रोज पढ़ाना हे
सभे मास्टर के नजर में इहे से ढकलेल हकूँ
की कहियो अपन हालत सबसे बड़का बकलोल हकूँ।

डर न´ केकरो से हे हमरा, मुँहे पर हम बोलऽ ही
इहे लूर से आय तलक हम, एन्ने ओन्ने डोलऽ ही
जे कहना हो कहला तों हम तो दूध से घोल हकूँ
की कहियो अपन हालत सबसे बड़का बकलोल हकूँ।

जनप्रतिनिधि के वादा पूरा करेले हम ललकारऽ ही
शासन प्रशासन के करनी पर ओकरा दुतकारऽ ही
दुखछल जनता के दिल के हम ही असली बोल हकूँ
की कहियो अपन हालत सबसे बड़का बकलोल हकूँ।

चेतऽ हाली-हाली सभे अपना में ही सुधार करऽ
आवे वाला पीढ़ी पर थोड़ा सन तो उपकार करऽ
हब्बे जहर हो जयतो भविष्यवक्ता सुग्गा के लोल हकूँ
की कहियो अपन हालत सबसे बड़का बकलोल हकूँ।