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कौन हो तुम / कुलवंत सिंह
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अधरों पे राग मलंद लिये,
मद-मधु-रस मकरंद पिये,
नयनों में संसृति हर्ष लिये,
सुंदर रचना कौन हो तुम?
अलकों में तेरी सांझ ढ़ले,
पलकों से मृदुहास छले
उर में मधुर प्रसून खिले,
शोभित रमणी कौन हो तुम?
तन कौमुदी सिंगार किये
पावों में प्रमाद लिये
मिलन का अभिप्राय लिये
कांति कामिनी कौन हो तुम?
वाणी कोकिल वास करे,
सुर में लय और छंद भरे,
खनक मधुर हृदय हरे,
चारु चंचला कौन हो तुम?