भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वे पाँच थीं / विनोद विट्ठल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:01, 9 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोद विट्ठल |अनुवादक= |संग्रह=पृ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(उन पाँच सहेलियों के नाम जो वादे के मुताबिक बीस बरस बाद बिना पति और बच्चों के एक अनजान शहर के होटल मे री-यूनियन के लिए मिली थीं ।)

वे पाँच नहीं थीं  
उनके थे पाँच पति और दस के आसपास बच्चे भी 
कुल जमा बीस का कुनबा था जिसमें मायके और ससुराल की
आबादी जोड़ी जाए तो हो सकती थी सौ के भी पार 
लेकिन रिश्तों की गणित के बावजूद वे पाँच थीं

वे पाँच सहेलियाँ जो कभी बेझिझक माँग लेती थीं सेनेट्री नेपकिन का पैड, हेयरपिन और चुन्नी 
और साझा कर लेती थीं अपने-अपने चान्द और वे ख़ुशबुएँ जिनका पीछा वे कर रही होती थीं
आज आई थीं पाँच अलग-अलग दिशाओं से 
अपने सुखी, उबाऊ, परेशाननाक, चमकते और स्वीकारे जा चुके वर्तमानों के साथ 
अतीत की गठरियाँ लिए 
जिन्हें लाते हुए उनके पति-बच्चों-सहकर्मियों ने नहीं देखा 
लेकिन वो अतीत था और साथ आया था 
हैरत की बात है कि वो इतने गहरे कोठारे में रहता था
जहाँ जाने के लिए हवा को भी मशक्कत करनी पड़ती है 
जहाँ सूरज अपने जन्म से आज तक नहीं पहुँचा और
चान्द केवल एक फटे काग़ज़ पर पेंसिल से उकेरे गए चित्र का नाम भर था

वे पाँच थीं अलग-अलग दिशाओं से अपने-अपने अतीतों के साथ आती 
उनके पास पाँच देहें थीं और पाँच संसार और पाँच ब्रह्माण्ड जिसमें भरत के पाँचवे वेद की तरह 
वे सुना रही थीं अपनी गाथा, जैसे सुनाता था यूनान के नाटकों में लम्बा मोनोलॉग कोई सूत्रधार 
या फिर ऊँटों के किसी कारवाँ को क़िस्सागोई से जीवन्त करता है कोई क़िस्सागो अतीत और आज के बीच
नट की तरह झूलता हुआ
जिस पाँच रास्तेवाले गोलचक्कर पर वे मिली थीं
वहाँ एक वादा किसी अम्पायर की तरह उनकी प्रतीक्षा कर रहा था कि उन्हें बीस बरस बाद 
इस जगह, इस तरह मिलना होगा

क्या मिलना अनावृत्त होना है
क्या मिलना अतीत की किसी पगडण्डी से वर्तमान की सड़क पर आ जाना है या फिर उलटा ही 
क्या मिलना सुविधा की उन सलाईयों की तरह है जिसमें
ज़िन्दगी के स्वेटर के कुछ रँग बदले जा सकते हैं 
क्या मिलना किसी खेल की तरह हो सकता है जिसमें आप कुछ घटनाओं से अलगा सकते हैं ख़ुद को
और रीटेक करते हुए जी सकते हैं कोई शॉट जिसमें कोई फ़ैसला लिया था,
सोचता है अम्पायर और चुप रहता है

पाँच दिशाओं से आई वे पाँच थीं, जो बोल रही थी बारी-बारी 
जो भीग रही थीं बारी-बारी 
उनमें से कोई बीच में खिड़की खोलती और हाथ निकाल कर देखती
घनघोर बारिश को और फिर चुप हो
जाती 
थोड़ा सहमती, थोड़ा घबराती, थोड़ा इतराती अपने किसी फ़ैसले पर
और थोड़ा धन्यवाद देती ईश्वर को 
कि ये स्थिति उसके साथ नहीं हुई 

कुछ ईर्ष्याएँ थीं उनके बीच; केवल सुख की नहीं दुखों की भी लेकिन
इतनी बारीक़ कि नज़र नहीं आती थीं
कुछ अबोले शब्द भी थे तैरते हुए उन ख़ुशबुओं की तरह जो हेयर-रिमूवर की होती है 
लेकिन अच्छा ये था कि सब-कुछ डी-कोड हो रहा था

वे पाँच थीं और उनके पास कुल दस जीवन थे 
पाँच वे जो वे जीना चाहती थीं
और पाँच वे जो वे जी रही थीं
बावजूद इसके वे पाँच थीं

उनमें से एक के पास अपने प्रेमी के प्रेमपत्र की छायाप्रतियाँ थीं जिसमें नाम की जगह ख़ाली थी
एक के पास थे कुछ अपने पाप चोट के निशान की तरह जिसे वो
अब किसी को नहीं दिखाना चाहती थीं 
एक के पास क्रान्तिकारी भाषणवाले पति के व्यावहारिक पहलुओं पर लिखी गई पपड़ाई डायरी थी
एक के पास अपनी ज़िन्दगी को बच्चों में जीने को रोडमैप था 
एक के पास अगले जनम के भरोसे थे सारे दृश्य 

एक के पास थोड़े से बढ़े हुए मोटापे के साथ कुछ महँगी अँगूठियाँ, चूड़ियाँ, कुछ प्लोट्स के कागज़ात 
और पति के किसी अन्या के साथ रिश्तों की एक निगेटिव भी थी जिसे वो अब डिवैलप नहीं करना
चाहती थीं

वे पाँच थीं 
हर घण्टे हो जाते थे अपडेट उनके फ़ेसबुक स्टेटस 
हर घण्टे वे पढ़ती थीं चालीस पार के लिए ज़रूरी हैल्थ अपडेट्स 
हर घण्टे वे देखती थीं बच्चों के एड्मिशन के लिए आनेवाले अलर्ट 
हर घण्टे वे अनचाहे ही दस-बीस लाइक्स कर रही थीं 
हर घण्टे वे पहले की तुलना में कुछ गीली और भारी हो जातीं 
और सुलगती हुई लकड़ियों की तरह हवा में एक कसैलापन आ जाता जो
ए०सी० की ठण्डक के बाद भी अप्रिय लगता

वे पाँच थीं और उनके पाँच पति भी थे 
उनकी कामनाओं में कोई और था या नहीं, कह नहीं सकते 
लेकिन कुछ मोडिफ़िकेशन वे सोचती थीं अपने पतियों के बारे में 
और उस समय के बारे मे भी, जिसे किसी भी मशीन से खींच कर वापस नहीं लाया जा सकता 
ज़िन्दगी के उन लम्हों के बारे में जिन्हें अन-डू नहीं किया जा सकता

वे पाँच थीं अपने पाँच अतीतों के साथ 
लेकिन वर्तमान में उन अतीतों के लिए कोई जगह नहीं थी 
लिहाजा उन्होंने अपने अतीतों को फिर अपने-अपने दिल के डीप-फ्रिज मैं क़ैद किया और रवाना हो गईं
ये कहते हुए कि भविष्य के किसी ऐसे ही पाँच दिशाओं वाले गोलचक्कर पर वे फिर मिलेंगी 
और कोशिश करेंगी कि बिना गला खँखेरे बात कर सकें 
और माफ़ कर सकें इस दुनिया को, क्योंकि ज़िन्दगी की हार्डडिस्क को बदल पाना नामुमकिन है !