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वियोग / नाज़िम हिक़मत / अनिल जनविजय

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समुद्र के पास लौटना चाहता हूँ मैं
देखना चाहता हूँ
गहरे पानी के आइने में
अपनी पूरी परछाईं

लौटना चाहता हूँ समुद्र के पास
दूर चान्दी से चमकते पानी में तैरते हुए जहाज़ों के पास
बेपरवाह और बेफ़िक्र हवा में
उड़ते हुए पालों के साथ
कभी सम्भव है चलूँ मैं जहाज़ पर

मेरे लिए ज़रूरी है समुद्र
वैसे ही जैसे
हर एक के लिए ज़रूरी है मौत
मैं चाहता हूँ जाना उस विस्तार में लहरों पर
किरण की तरह चाहता हूँ बुझ जाना
लौटना चाहता हूँ समुद्र के पास
नीले सागर के पास लौटना चाहता हूँ मैं

1927

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय