शारदे निखार दे, शब्द-शब्द धार दे।
लेखनी सदा चले, सत्य को लगा गले॥
हों सगे न गैर के, गीत छंद बैर के.
इक वृथा न हो कथा, दीन की कहें व्यथा॥
बात प्रेम की कहें, विश्व क्षेम की कहें।
छंद-छंद आस हो, बस यही प्रयास हो॥
शारदे निखार दे, शब्द-शब्द धार दे।
लेखनी सदा चले, सत्य को लगा गले॥
हों सगे न गैर के, गीत छंद बैर के.
इक वृथा न हो कथा, दीन की कहें व्यथा॥
बात प्रेम की कहें, विश्व क्षेम की कहें।
छंद-छंद आस हो, बस यही प्रयास हो॥