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आम्रपाली / सपना / भाग 3 / ज्वाला सांध्यपुष्प

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उप्पर बोले ऊ राम राम।
भीतर हए हम्मरा बड़का काम॥
अइसन चेला राम के ठोंठी।
पकड़कऽ तोड़ऽ ओक्कर नरेट्टी॥19॥

वैशाली दुनिया में अब्बल।
विद्वत-मोती कहियो न कम्मल॥
नगर विशालपुरी लाल-लाल।
लिच्छवी वंश के राजा विशाल॥20॥

महाबीर के जलमएलक ई।
हुनकर ज्ञान के छितरएलक इ॥
बर्धमान् इन्जोर कएलन एक्करा।
गौतम नआ बनएलन एक्करा॥21॥

इस्कूल पर कल्हे सम्मेलन भेल।
हम्मर मान में आयोजन भेल॥
मूर्ति महान नटराज के मिलल।
‘नृत्य-विदुषी’ के इनाम भेटल॥22॥

राजा अएलन अमात्य अएलन।
नृत्य बिशारद, सेहो बइठलन॥
नृत्य के जोर-अजमाइस भेल।
पुरान नर्तकी फेल हो गेल॥23॥

‘राज-नर्तकी’ पद मिलल हम्मरा।
राजा माला देलन हम्मरा॥
अमात्य अमीर खुश हो गेलन।
सगरो सामंत जयकार कएलन॥24॥

कुत्ता बुर्हाएल सब्भे भगबइअ।
अरूआएल नृत्य पर लात मारइअ्॥
बर बहिन के हम दुश्मन भेली।
हाथ कोनो हम अप्पने कटलि॥25॥

बहिन खुशी से भेंट कएलक।
हम्मरा सङ अप्पन घेट कटएलक॥
हट गेल उ पद ‘राजनर्तकी’ से।
हम्मरा बइठएलक बेखटकी से॥26॥

आइए मन सोसिआइअ कल्ला।
कुत्ता नाहित कोंकिआइअ कल्ला॥
असरा के अब ओसबइत हति।
विश्वास के तब तउलइत हति॥27॥