आम्रपाली / युद्ध / भाग 5 / ज्वाला सांध्यपुष्प
बीच गङ में हलचल् हए, चानी-सन् इ चमकइअ।
सहरे सैनिक मग्गह के, मेला लग्गल बुझाइअ॥41॥
गीद्दर-खिखिर बोलइअ, कसकअ कुत्ता कनइअ।
कोकिल, पंडुक कुहकइअ, चकइ, चातक सिस्कइअ॥42॥
चित्ररथ, चण्डोल चिचिआए, मुर्गा खूब बोलइअ।
सारंग, श्येन, सुग्गा सब, रह-रह कअ डहकइअ॥43॥
खरहा मरल, सुग्गर मरल, मरल तरुण हरिण।
चोखगर धनुष-बाण से, मरल बाघ दस-बीस॥44॥
माँस निरहाए के शुरू हए, भात पके एक ओर।
सोमरस खूब छनाइअ, तितिर झरकइअ जोर॥45॥
खा-पीकऽ तइयार भेल, हो गेल यात्रा शुरू।
बाजा बजइत चलत सब, जेन्ना चलल् राजकुरु॥46॥
नइआ पुल लग आकअ, सेना सब्भे ठमकल।
नौसेना भेल् चौकन्ना, तऽ एगो-एगो कऽ बर्हल॥47॥
टप गेल पहिले अश्व-दल, तऽ होएल् पार पदाति।
रथ बइठल रथि-महारथि, तेकरा बाद गजाति॥48॥
नद्दी पार कएलक् सेना, अब हो गेल सावधान।
शन्ख बज्जे के पएरा में, खरा कएले हए कान॥49॥
सेनापति सिंह सजएलन, सेना के अइसन उ।
त्रिशिखर-पद्मव्यूह जौरे, लगएलन क्रौंच व्यूह॥50॥