आम्रपाली / युद्ध / भाग 10 / ज्वाला सांध्यपुष्प
संकुल युद्ध में बैशाली के, सहस्रो कट्टल लोग।
चाहे रणनीति बदल इ, दूर करे के रोग॥88॥
मग्गह सैनिक काटे खुब, बज्जी के उ कुट्टी सन।
बज्जि तइओ बर्हे न देबे, पटके उ धोबी सन॥89॥
रहे दू दण्ड दिनो बच्चल, सुरुज बुर्हाएल झुक्कल।
मुदा जुआन अजात अखनि, आ विशाल लग रूक्कल॥90॥
विशाल सुनल ललकार उ, फुफकार नाग उट्ठल।
निकले बाण कमान से, बरसे इ आग लग्गल॥91॥
खींच प्रत्यन्चा घेंटी तक, अजात छोड़े तीर।
कैशिक न्याय विध चलाकऽ, बाण काटे उ बीर॥92॥
छोड़ भल्लमुख बाण अखनि, भेदे चाहे दिल उ।
चला कर्णिक बाा अजात्, काटे लक्ष्य दन-दन उ॥93॥
चले तीर गिरे चिड़इ सन्, दुन्नो बीर के बीच।
देखलक तरकश खाली हए, बच्चल न एक्को तीर॥94॥
तिर छोड़ अजात्, तलबार, लेकअ ऊ अब भिड़ल।
विशाल के लेल तलबार, से कोई फर्क न पड़ल॥95॥
दुरथ के चउदह घोड़ा, लाल करिआ उज्जर।
सुरुज प्रकाश पड़े पर सतरङ पनसोखा बनल॥96॥