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गोरी के नाम / गौतम-तिरिया / मुचकुन्द शर्मा

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कहयो नय भुललों हम गोरी के नाम।
अँखिया में नाच रहल सुन्दरता सूरत,
मनमा में रसल-बसल गौरांगी मूरत,
याद हे चरित्र ओकर याद सभे बात,
कहियो नय केकरो पहुँचैलक आघात,
कहियो नय कैलक ऊ तनिको गुमान,
न्यौछावर कैलक परिवार ले प्राण,
ओकरे बिना सगरो सूना है धाम,
कहियो नय भुललों हम गोरी के नाम।
पायल के रूनझुन से निःसृत हे छन्द,
पूरे चरित्र पर लिखल प्रबंध,
अँखिया पुतरिया में फैलल आकास,
प्राची के उषा जैसन सुन्दर झकास,
गंगा के पावनता, रेवा के धार,
उतरल शीतल, मंद, सुरभित बयार,
सगर बसल मन में हे सुबह से शाम
कहियो नय भुललों हम गोरी के नाम।
गुलमुहर लाल फूल, पीत अमलतास,
लक्ष्मी सरस्वती के घर में हल बास,
कर्म आर धर्म के बड़ समाहार,
जीवन जिए के हल बड़का आधार,
सबकुछ धरती पर है नय कुछ ऊ पार
ओकरा नय देखो ही सगरो अन्हार,
मिसरी सन बोली हल कंठ बसल राम,
कहियो नय भुललों हम गोरी के नाम।