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यक्ष प्रश्न / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति
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यक्ष प्रश्नों के घेरे में
मेरी मुमुक्ष आत्मा के उदग्रीव दिए ,
न जल पा रहे हैं,
न बुझ पा रहे हैं,
आदि आदिम , युग युगांतर का
आदि अनादि प्रश्न
इला मनु से , काल से, ब्रह्माण्ड से,
धरती आकाश से,
प्राण यही पूछते आ रहे हैं.
हमारा उद्भव कहाँ से है ?
हमारा उदगम कहाँ से है?
हमारा संगम कहाँ से है ?
मन किससे पूछ कर प्रत्यायित हो सके ?
कैसे जान कर आत्मस्थ हो सके ?
कौन देगा मेरे परम प्रश्न का चरम उत्तर ?
मेरे यक्ष प्रश्न का युधिष्ठिर उत्तर .