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पछिया / गौतम-तिरिया / मुचकुन्द शर्मा

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आय तो भोरे से पछिया धुधुआल हे
खेत खलिहान में उ चलल पगलाल हे
झुला रहल रेंड़ी के उड़ा रहल ढेरी के
भगा रहल खेत में चरते सब भेंड़ी के
पत्ता पियरका के रोज ई तोड़े हे,
पता नय केकरा से गाँठई जोड़े हे
साँढ़ सन ढकर रहल सबके ई पकड़ रहल
पेड़ पात सबसे पुरजोर से झगड़ रहल
जोर से उड़ाबे हे धूरी के ढेर के
बालू के नचावे हे नाज बड़ी फेर के,
दुपहर होते-होते मन हलहलाल हे
आय तो भोरे से पछिया धुधुआल है
दे रहल हें राहर के धक्का पर धक्का
रुक जाहे चले में साईकिल के चक्का,
बोझढोवे में जन सब हक्काबक्का,
पंजा पर मारे हे पछिया ई छक्का,
साड़ी धोती कुरता सब फेटम फेंट है
जोर से बजारै केबारी आ गेट है
कहो है जानना ई केकरा से भेंट है
इंजन डीजल सन या भाग रहल जेट है।
जन सबके माथा से बोझा गिराबो है
राह चले में ई सबके भरमावो है
दिन दुपहरी में खूब गरमावो है
जानों मलहार की तुफान राग गावो है
बौआ सब राहे में खूब भकुआलहे
आयतो भोरे से पछिया धुधुआल हे
छप्पर छानो से कर रहल हें मारामार
औरत से राह में करो है बटमारी
रहल झकझोर सब जंगल के झारी
कटनी करावे ई पारी के पारी
ठोर में फेफड़ी है सूख रहल कंठ हे
चैतके पछिया तो भारी बजर लंठ हे
दया धरम तनिको नय भारी ई चंठ हे
कने के महंथ ई कने एकर मंठ हे
सबसे ई कुश्ती लड़े बड़का धौताल हे
आयतो भोरे से पछिया धुधुआलहे।