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आ गया सावन / महेन्द्र भटनागर
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प्रीति के प्रिय गीत गाओ !
आ गया सावन सजीवन,
हैं बरसते प्यार के घन !
- दूर खेतों में सरस सुन्दर
- मुसकराती तृप्त हरियाली,
- डाल पर कलियाँ हँसी चंचल
- छलछलाकर रस भरी प्याली,
- तुम न जाओ दूर मुझसे
- प्राण में आकर समाओ !
- तुम न जाओ दूर मुझसे
वायु शीतल बह रही है,
कान में कुछ कह रही है !
- स्वर मिलन-संगीत खग-उपवन,
- भू-हृदय में हो रही धड़कन,
- सब खिँचे जाते जगत के कण,
- मूक मनहर सृष्टि-आकर्षण,
- भावना ले द्रोह की तुम
- यों विमुख होकर न जाओ !
- भावना ले द्रोह की तुम