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शायद तुझसे मिलने की गुंजाइश है / सोनरूपा विशाल
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शायद तुझसे मिलने की गुंजाइश है
सन्नाटा है, ख़ामोशी है , बारिश है
मेरी आँखें ख़्वाब तेरे ही देखेंगी
बेगाने ख़्वाबों की इनमें बंदिश है
अब जाकर के दिल को ये एहसास हुआ
तेरा प्यार भी प्यार नहीं इक साज़िश है
तुझको देख के ऐसा क्यों महसूस हुआ
ख़ुश है तू या खुश होने की कोशिश है
रिश्तों की क़ब्रों पर मिट्टी मत डालो
इनमें अब भी साँसों की गुंजाइश है