होम्यो कविता: बेलाडोना / मनोज झा
रोग दिखाए, कारण पूछे ।
चाहे जल्द ठीक होना।
हँस-हँस बोले भोला भाला,
डाक्टर दो बेलाडोना॥
लापरवाह, अंधविश्वासी,
दर्द से कुहरन औ रोना।
कमजोरी की वहम अगर हो,
डाक्टर दो बेलाडोना॥
अपनी अंगुलियों से खेले,
हर चीजें चाहे चखना।
पास वाले की बाल खींचता,
डाक्टर दो बेलाडोना॥
होम्यो कविता: लेकेसिस
नींद के आने-जाने क्षण हो रोग का बढ़ना,
रोगीजगह पर कपड़े तक का भार न सहना,
अँधविश्वासी डरे उसे कोई दे देगा विष,
वाँयीं उपजे रोग अगर तो दे दो लेकेसिस।
बकवादी जो विषय बदलकर बोला करता,
मुत्रनली के भीतर घूमे गोला-कहता।
नीले रंग का घाव रहे या टांसिलाइटिस,
काला धुंधला रक्तपेशाब हो दे दो लेकेसिस।
गर्दन में लिपटे कपड़े से दम घुटता है,
पंखा दूर से हौले ही झलने कहता है।
ठीक समय पर एकाध दिन ही होता मेन्सेस,
डिम्बकोष में दर्द जलन हो दे दो लेकेसिस।
दाँत के भीतर ही जी का अड़ जाना,
टाइफाइड में होता सड़ा पाखाना,
बकते बकते चुप हो जाए दिखता विकनेस,
बेहोशी हो जबड़ा लटके दे दो लेकेसिस।