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भगवती वंदना / मनोज झा
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जग जननी माँ, भाव की भूखी
मेरे भाव का पान करो ।
दर्शन दो सन्ताप हरो, माँ !
अटल भक्ति का दान करो ।
जग जननी माँ...॥
भोग-वस्तु मैं दे नहीं पाता,
कारण की पहचान करो ।
बड़े भक्त जय-यश पाते हैं —
मुझ छोटे का भी ध्यान धरो ॥
जग जननी माँ ...॥
कितनी बार मैं माँ कहता हूँ
बेटा तुम एक बार कहो,
जीवन सफल बना दे, हे मैया !
स्वर मेरा स्वीकार करो ॥
जग जननी माँ ...॥