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गुमशुदा / ईशान पथिक

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चाँद से तेरा पता जो पूछा
उसने कहा मालूम नही
वो भी तो तेरा आशिक है
हमको भला मालूम नहीं

पहले तो बातों पे बातें थीं
तनहा न ये चाँद रातें थीं
कहते थे मुझसे कि सो जाईये
और नींदों में फिर सौगातें थीं

वो हमसे रूठे बैठे हैं
हमें अपनी खता मालूम नहीं
चाँद से तेरा पता जो पूछा
उसने कहा मालूम नही

राहों में गिरते संभलते हैं
अरमां भी यूं अब मचलते हैं
यादों में उनकी ही खोए हैं
रातों को जागे न सोए हैं

वो दिल में जबसे आई है
हमेंअपना पता मालूम नहीं
चाँद से तेरा पता जो पूछा
उसने कहा मालूम नही

यादों की छतरी सुनहरी मेंं
बैठे हैं जलती दुपहरी में
होठों पे उनके तराने लिए
आखों में गुजरे जमाने लिए

हम भीगे-भीगे लगते हैं
कब छाई घटा मालूम नहीं
चाँद से तेरा पता जो पूछा
उसने कहा मालूम नही ।