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तेरी याद में बैठूं चश्म-ए-तर में रहूं मैं / ईशान पथिक

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तेरी याद बैठूं चश्म-ए-तर में रहूँ मैं
मेरी जाँ तू इतनी खूबसूरत नही है

हाँ ये साँसें मेरा साथ देती नही अब
जीने को इनकी भी जरूरत नही है

जिनमे न हो साथ रहने की कसमें
तेरे झूठे वादों में वो खत नही है

तुझे याद करके मैं रोता नही हूँ
बचे दाग हैं पर जराहत नही है

आई जो पास तो तय था तेरा जाना
"पथिक" जानता था , हैरत नही है