भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चल देख लेते है / ईशान पथिक
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:37, 23 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ईशान पथिक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
में तुझसे दूर होता हूँ
तू मुझसे दूर तो है ही
मगर कबतक रहेगी यूँ??
चल देख लेते हैं
मैं तेरा नाम न लूंगा
नही पहचानूँगा तुझको
मगर कबतक हसेंगी तू ??
चल देख लेते हैं
तुझे लगता तो होगा ही
की मैं बस याद हूँ कोई
तू मुझको भूल पाएगी??
चल देख लेते हैं