भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैं फिरूँ क्यों कू-ब-कू / अमन चाँदपुरी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:30, 27 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमन चाँदपुरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मैं फिरूँ क्यों कू-ब-कू
रब है मेरे रू-ब-रू
मैंने सोचा था जिसे
आप हैं वो हू-ब-हू
क्या हूँ मैं महसूस कर
जान मेरी मुझको छू
ज़ीस्त की हर राह पर
ठोकरें हैं चार सू
देखना है जो अदब
आप आएँ लखनऊ