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भोली-सी सूरत आँखों में मस्ती / आनंद बख़्शी
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भोली सी सूरत आँखों में मस्ती, आय-हाय
अरे भोली सी सूरत आँखों में मस्ती दूर खड़ी शरमाए
एक झलक दिखलाए कभी, कभी आँचल में छुप जाए
मेरी नज़र से तुम देखो तो, यार ! नज़र वो आए
लड़की नहीं है वो जादू है, और कहा क्या जाए
रात को मेरे ख़्वाब में, आई वो ज़ुल्फ़ें बिखराए
आँख खुली तो दिल ने चाहा, फिर नींद मुझे आ जाए
बिन देखे ये हाल हुआ, देखूँ तो क्या हो जाए
सावन का पहला बादल, उसका काजल बन जाए
मौज उठे सागर में जैसे, ऐसे क़दम उठाए
रब ने जाने किस मिट्टी से, उसके अँग बनाए
छम से काश कहीं से मेरे, सामने वो आ जाए