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आवास / ऋषभ देव शर्मा

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या तो
समुद्र की लहरों पर
हो
मेरा बसेरा
कभी सोऊँ नहीं

या
सोती रहूँ
तेरे विशाल वक्षस्थल पर
कभी जागूँ नहीं