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प्यार का पर्याय / ऋषभ देव शर्मा

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प्यार का पर्याय पूछा, सिंधु से कल शाम
बालुका पर लिख गई, लहरें तुम्हारा नाम
 
कामना के नील नभ में
स्वप्न की पारियाँ तिरीं
मेघ यायावर नहाए
ज्योति की बुँदे गिरीं
 
बाँह के तटबंध खोजे, यह नदी उद्दाम
प्यार का पर्याय पूछा, सिंधु से कल शाम
 
गुलमुहर ज्वाला सजाए
बर्फ बोती मालती
कुंजगृह में गोपिका सी
उम्र काया बालती
 
रास की ही धुन बजाए, बाँसुरी अविराम
बालुका पर लिख गई, लहरें तुम्हारा नाम
 
हर सुमन हर दीप तारा
अंजुरी में भर लिया
राग–रंगोली रचा कर
देहरी पर धर दिया
 
आज अर्पण के गगन में, लीन सब परिणाम
प्यार का पर्याय पूछा, सिंधु से कल शाम