भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अधूरी तृप्ति / ऋषभ देव शर्मा
Kavita Kosh से
					सशुल्क योगदानकर्ता ५  (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:31, 30 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=प्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जब विलमते पत्र तुमने, फर्ज की खातिर लिखे 
तब नए दो गीत मैंने, रूप की खातिर लिखे
जब अनिद्रा रोग देकर, सो गए मुँह फेर तुम 
स्वप्न के चलचित्र मैंने नींद दी खातिर लिखे 
जब अधूरी तृप्ति दे तुम, दे गए दुगुनी तृषा  
युग नयन में लवण सागर, होठ की खातिर लिखे 
जब सुपरिचित उष्ण स्पर्शों से बने अनजान तुम 
कुछ पिराते छंद इस पल प्राण की खातिर लिखे
	
	