भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कवियों से मुलाक़ात / यूनीस डिसूजा / ममता जोशी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:18, 1 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यूनीस डिसूजा |अनुवादक=ममता जोशी |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कवियों से मिलते समय
मेरा चित्त
व्याकुल हो जाता है

कभी उनके मोजो़ं के रंग पर
ध्यान जाता है
कभी लगता है बाल नकली हैं
विग पहन रखा है
आवाज़ में बर्रे के ज़हरीले दंश
पूरा माहौल सीलन से बोझिल-सा लगता है

बेहतर होगा उनसे कविताओं में ही मिला जाए
जैसे धब्बों से भरी चित्तीदार
ठण्डी उदास सीपियॉं

जिनमें
सुनाई देती है
सुदूर समुद्र की
सुकून भरी आवाज़

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : ममता जोशी