भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छत्तीसगढ़ महतारी / द्वारिका प्रसाद तिवारी 'विप्र'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:04, 3 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=द्वारिका प्रसाद तिवारी 'विप्र' |अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तोला वंदब वो छत्तीसगढ़ महतारी
तोर माटी मां जनम लिहेंव मैं तै मोर परम पियारी

इंहे रतनपुर - शबरी नरायेन, पीथमपुर वेलपान ।
सोमनाथ, सिरपुर, राजिम सव करत हे तोर गुणगान।
महानदी तो कोख ले ओगरिस, महासमुंद तनधारी

बिजली कोईला कोरवा उगलिस लोहा ढारे भिलाई।
वैलाडीला के वाढिस महात्तम, करिस विदेशी कमाई।
धान तो उपजातेच हस तै, सबके स जेवन थारी

विद्या बुद्धि गजव बढ़ाईन, माखन कवि गोपाल।
भानु कवि, लोचन पांडे अउ पांडे श्री सुखलाल।
सरस्वती के पुत्र कहाईन, जस पाईन बढ़ भारी

शर्मा सुंदर लाल इंहे के, ठाकुर प्यारे लाल।
छेदिलाल वैलिस्टर, मेघावाले रमादयाल।
बाबू छोटेलाल जनम के, खपगे पारी पारी